रियल एस्टेट मार्केट में नए नियमों का प्रभाव

क्या ये बदलाव आपके निवेश को फायदेमंद बनाएंगे या मुश्किल में डाल देंगे? भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में हाल ही में लागू हुई नई दिशानिर्देशों का असर बहुत गहरा होने वाला है। इन नए बदलावों से न केवल निवेशकों को, बल्कि उपभोक्ताओं को भी कई नए फायदे मिलेंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि इन नए नियमों का असर आपके रियल एस्टेट निवेश और संपत्ति खरीदने के तरीके पर किस तरह पड़ेगा? आइये, जानते हैं इन बदलावों के बारे में, और यह कैसे आपके निर्णयों को प्रभावित कर सकते हैं!

1 अप्रैल 2025 से, भारत में कई नए नियम और विनियम लागू हो रहे हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करेंगे। इन परिवर्तनों का उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और नागरिकों को लाभ पहुंचाना है।

1. इंदौर की प्रमुख विशेषताएं:

  • तेजी से विकसित होता शहर: इंदौर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र है। यह स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जिससे यहां बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार हो रहा है।

  • शिक्षा और स्वास्थ्य का हब: इंदौर में प्रमुख शिक्षण संस्थान (IIM, IIT) और विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं, जिससे यहां रहने और काम करने का आकर्षण बढ़ता जा रहा है।

  • आईटी और रियल एस्टेट का विकास: सुपर कॉरिडोर और टीसीएस, इंफोसिस जैसी कंपनियों की मौजूदगी के कारण आईटी सेक्टर में भारी निवेश हो रहा है।

  • 2. रियल एस्टेट में निवेश के लाभ:

    • संपत्ति की बढ़ती कीमतें: इंदौर में भूमि और प्लॉट की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में रियल एस्टेट निवेश से बेहतर रिटर्न मिलने की उम्मीद है।

    • कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्लॉट: इंदौर में निवेशकों के लिए कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्लॉट एक आकर्षक विकल्प हैं, खासकर सुपर कॉरिडोर, बायपास रोड, और उज्जैन रोड जैसे क्षेत्रों में।

    • रेंटल इनकम का अवसर: इंदौर में किराये की संपत्तियों की मांग बढ़ रही है, जिससे निवेशकों को रेंटल इनकम का अच्छा लाभ मिल सकता है।

भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में हाल ही में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिनका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, उपभोक्ताओं की सुरक्षा करना और सतत विकास को प्रोत्साहित करना है। इन परिवर्तनों में से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं

भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में 2025 के लिए नए बदलाव और रुझान:

🏢 संपत्ति पंजीकरण और भूमि रिकॉर्ड:

  1. डिजिटल पंजीकरण:
    सरकार पूरी तरह से डिजिटल प्रणाली की ओर बढ़ रही है, जिससे संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया को अधिक सरल और तेज़ बनाया जाएगा।

  2. आधार लिंकिंग:
    अब सभी संपत्ति हस्तांतरण के लिए खरीदार और विक्रेता दोनों का आधार नंबर लिंक करना अनिवार्य होगा।

  3. भूमि शीर्षक प्रणाली में सुधार:
    सरकार भूमि शीर्षक प्रणाली को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने के लिए सुधार कर रही है, जिससे विवादों में कमी आएगी।

  4. स्टांप शुल्क प्रक्रिया में सरलीकरण:
    नए नियमों के तहत स्टांप शुल्क का मूल्यांकन और भुगतान प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।

  5. तेज़ पंजीकरण प्रक्रिया:
    सरकार संपत्ति पंजीकरण की प्रक्रिया को तेज़ और कुशल बनाने के लिए कदम उठा रही है।

  6. स्पष्ट संपत्ति मूल्यांकन:
    अब संपत्ति का बाजार मूल्य निर्धारित करने के लिए मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे स्टांप शुल्क और अन्य करों का उचित निर्धारण होगा।

  7. विवाद समाधान में सुधार:
    संपत्ति विवादों को जल्दी सुलझाने के लिए त्वरित समाधान तंत्र लागू किए जाएंगे।


1. आयकर स्लैब में बदलाव

नई कर व्यवस्था के तहत, अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ, यह छूट 12.75 लाख रुपये तक हो जाएगी। इसके अलावा, 20 से 24 लाख रुपये की आय पर 25% का नया कर स्लैब जोड़ा गया है, जिससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत होगी।

3. संपत्ति गाइडलाइन दरों में वृद्धि

भोपाल में 1 अप्रैल 2025 से संपत्ति की गाइडलाइन दरों में औसतन 18% की वृद्धि होने जा रही है। कुछ क्षेत्रों में यह वृद्धि 5% से लेकर 300% तक हो सकती है। इससे संपत्ति बाजार में हलचल बढ़ गई है, और लोग मौजूदा दरों पर संपत्ति खरीदने के लिए रजिस्ट्रियों में भीड़ कर रहे हैं।

1. आयकर स्लैब में बदलाव

नई कर व्यवस्था के तहत, अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई कर नहीं लगेगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ, यह छूट 12.75 लाख रुपये तक हो जाएगी। इसके अलावा, 20 से 24 लाख रुपये की आय पर 25% का नया कर स्लैब जोड़ा गया है, जिससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत होगी।

2. टीडीएस (TDS) की सीमा में वृद्धि

  • किराये की आय पर टीडीएस छूट: किराये से होने वाली आय पर टीडीएस की सीमा 2.4 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई है। इससे मकान मालिकों को राहत मिलेगी और रियल एस्टेट क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

  • ब्याज आय पर टीडीएस छूट: वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंक एफडी से ब्याज आय पर टीडीएस की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे उन्हें अधिक बचत करने में मदद मिलेगी।

4. रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा देने की मांग:

रियल एस्टेट क्षेत्र के हितधारक लंबे समय से इस क्षेत्र को आधिकारिक ‘उद्योग’ घोषित करने की मांग कर रहे हैं। यदि यह मांग पूरी होती है, तो डेवलपर्स को कम ब्याज दरों पर ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी, जिससे प्रोजेक्ट की लागत कम होगी और समय पर पूरा होना सुनिश्चित होगा। इसके अलावा, पारदर्शिता और निवेश में वृद्धि होगी, जिससे प्लॉट खरीदने और बेचने की प्रक्रिया में सुधार होगा

💰 कर और वित्तीय प्रभाव:

  1. पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax):
    1 अप्रैल 2025 के बाद संपत्ति बेचने पर पूंजीगत लाभ कर को अगले वित्तीय वर्ष में स्थानांतरित किया जा सकेगा, जिससे कर बचत की योजना बनाने के लिए पूरे एक साल का समय मिलेगा।

  2. कर प्रोत्साहन:
    2025-26 के केंद्रीय बजट में घर खरीदारों के लिए कर प्रोत्साहन की उम्मीद है, जैसे:

    • निर्माणाधीन संपत्तियों पर जीएसटी दर में कमी।

    • स्टांप शुल्क प्रक्रिया को सरल बनाना।

  3. सुलभ आवास (Affordable Housing):
    सरकार सस्ते आवास पर विशेष ध्यान देगी, जिसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

    • कर अवकाश (Tax Holiday) को फिर से लागू करना।

    • क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी योजना को बढ़ावा देना।

    • सस्ते आवास के मानकों की पुनर्परिभाषा करना।

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